Tuesday, November 4, 2014

’परसाई के लेखन से भारतीय लोकतंत्र परिमार्जित हुआ’

हिमांशु राय , डॉ विजय बहादुर सिंह , डॉ कुंदन सिंह परिहार 



ज्ञानरंजन जी के साथ मित्र मण्डली 

ज्ञानरंजन जी 

’परसाई के पास कहने को बहुत कुछ था। उनके जीवन के अनुभव बहुत विराट थे। उन्होंने बहुत कष्ट और दुःख झेले थे। उनकी भाषा बहुत सरल थी। उनके वाक्य बहुत छोटे छोट होते थे। वो हर चरित्र के अंदर झांक कर देखने और उसकी सच्चाई व्यक्त करने का सामर्थ रखते थे। बहुत कम उम्र में ही वो रामचरित मानस से लेकर पश्चिमी साहित्य तक सबकुछ पढ़ चुके थे। इसीलिए उनके लेखन में बहुत गहराई थी।’
ये विचार हिन्दी के सुप्रसिद्ध आलोचक व कवि डा विजय बहादुर सिंह ने विवेचना व पहल द्वारा परसाई जन्मदिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। 22 अगस्त को हर वर्ष विवेचना और पहल द्वारा स्व हरिशंकर परसाई का जन्मदिवस मनाया जाता है। इस वर्ष  ’परसाई और भारतीय लोकतंत्र’ विषय पर डा विजय बहादुर सिंह को आमंत्रित किया गया था। डस विजय बहादुर सिंह ने कहा कि ’परसाई ने अपनी खास पहचान अखबारों में अपने कॉलम से बनाई। ये कॉलम बहुत प्रसिद्ध हुए। इन स्तंभों के जरिये उन्होंने जनता और जनप्रतिनिधियों का शिक्षण किया। जनता उन्हें अपना मार्गदर्शक मानती थी वहीं राजनीतिज्ञ उन्हें अपना कटु आलोचक मानते थे। उन्होंने राजनीतिज्ञों और राजनीति का परिमार्जन किया। राजनेताओं के बारे में आम पाठक हमेशा उनका नाम लिया करता था कि अरे इनके बारे में परसाई जी ने ये लिखा। उनका लेखन भारतीय लोकतंत्र के लिए विशिष्ट रहा है।
कार्यक्रम के शुरू में विवेचना  के सचिव हिमांशु राय ने अपना आलेख पढ़ा। ’परसाई परसाई कैसे बने’ इस आलेख में हिमांशु राय ने कहा कि परसाई जी पर नितांत बचपन से घटी घटनाओं मसलन मंा का बहुत छोटी उम्र में गुजर जाना, स्कूल में पढ़ते समय ही पूरे परिवार को चलाने की जिम्मेदारी आ जाना, स्कूल में बहुत अच्छे शिक्षकों का मिलना, उनका अपना विशिष्ट स्वभाव होना कुछ ऐसे गुण थे जिन्होंने परसाई को परसाई बनाया।
अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष कहानीकार श्री कुंदनसिंह परिहार ने कहा कि जबलपुर के लिए परसाई बहुत अपने थे। उनका पाठक बहुत सामान्य और आम आदमी था। उन्होंने आम पाठकों के लिए जो कुछ लिखा वो आम आदमी को उसके सही स्वरूप का आइना दिखाता है।
कार्यक्रम के शुरूआत में अतिथियों का स्वागत वसंत काशीकर, राजेन्द्र दानी, संजय गर्ग ने किया। कार्यक्रम का संचालन बांकेबिहारी ब्यौहार ने किया। आभार प्रदर्शन पंकज स्वामी ने किया।

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