Tuesday, October 21, 2014

परसाई के व्यंग्य की सामर्थ्य का साक्षात्कार

उज्जैन में दस दिन का अनशन का मंचन 

अशोक वक्त नईदुनिया, उज्जैन 30 जनवरी 2013

आजादी की लड़ाई के दौरान गंाधी जी ने अनशन औरसत्याग्रह का सार्थक और कारगर उपयोग किया था। आजादी मिलने के बाद उनका दुरूपयोग भी शुरू हो गया। अगर इनका प्रयोग विवेकपूर्ण नहीं हो तो अनर्थकारी भी हो सकता है। इस बात को ही रंगमंच के जरिए संप्रेषित करने की सोद्देश्य कोशिश जबलपुर के रंगकर्मियों द्वारा की गई जो कामयाब भी रही। अर्जुनसिंह रंगोत्सव के साथ रंगकर्म की ताकत का अच्छा प्रतिफलन देखने का अवसर बना। कालिदास अकादमी उज्जैन के प्रेक्षागृह में विवेचना जबलपुर ़द्वारा ’दस दिन का अनशन’ की नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब प्रशंसा प्राप्त की। 
दस दिन का अनशन हरिशंकर परसाई का बहुचर्चित व्यंग्य है जो करीब आधी सदी पहले लिखा गया था। इस व्यंग्य का नाट्य रूपांतर करते हुए निर्देशक वसंत काशीकर ने उसे ’जस का तस’ रखने का प्रयास किया है। मूल रचना की संरक्षा की निर्देशकीय कोशिश सचमुच सराहनीय है। नाटक में लफंगा बन्नू मोहल्ले की विवाहित युवती सावित्री का दीवाना हो जाता है और उससे शादी करना चाहता है। नेता हरि प्रसाद और बाबा सनकीदास के षड्यंत्र के तहत बन्नू सावित्री के घर के सामने अनशन पर बैठ जाता है।
नेता और बाबा मिलकर अनशन को विराट राजनीतिक रूप दे देते हैं। अनशन के समर्थन में कवि सम्मेलन और नुक्कड़ नाटक होते हैं। विवाह कानून में संशोधन की मांग बलवती होती जाती है। प्रधानमंत्री तक से चर्चा होती है। शहर का माहौल अराजक होने लगता है तो कर्फ्यू लगाना पड़ता है। जाति और धर्म से होता हुआ बन्नू का अनशन राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न बन जाता है। इस सारे घटनाक्रम की मजेदार प्रस्तुति करते हुए कलाकारों ने वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक पाखंड और विद्रूपता को उजागर करने का उपक्रम किया। ’दस दिन का अनशन’ किसी शैली विशेष में नहीं बंधा था। यथार्थवादिता के ााि ही प्रस्तुतिकरण में विविधता के समावेश के जतन किए गए। पार्श्व संगीत ध्वन्यांकित था जिसमें पुराने मशहूर फिल्मी गीतों का दिलचस्प इस्तेमाल किया गया।
बाबा सनकीदास के रूप में संजय गर्ग के अभिनय को दर्शकों द्वारा पसंद किया गया। नेता-सीताराम सोनी, बन्नू-मो अली और सावित्री -इंदु सूर्यवंशी का अभिनय अच्छा था। व्यंग्य के तेवर के साथ सार्थक और रंजक रंगकर्म की बानगी नाटक में देखने को मिली।

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