Wednesday, November 10, 2010
हरदा में 'सूपना का सपना'
विवेचना को लगभग प्रतिवर्ष इप्टा हरदा द्वारा नाट्य मंचन हेतु आमंत्रित किया जाता है। हरदा म प्र का एक छोटा जिला है और छोटा सा शहर। यहां संजय तेनगुरिया और उनके साथियों ने अथक परिश्रम से एक बड़ा दर्शक वर्ग तैयार किया है। हरदा में अरविंद गौड़, बलवंत ठाकुर जैसे निर्देशक आकर अपनी प्रस्तुतियां कर चुके हैं। विवेचना के अनेक नाटक और कार्यशालाएं हरदा में हुई हैं। विवेचना ने और हरदा के दर्शकों ने यहां एक इतिहास बनाया है जब विवेचना के नाटक ’मायाजाल’ के एक शाम दो शो आयोजित हुए। पहला शो खत्म होने के बाद उसी स्थान पर आधे घंटे के अंतराल में दूसरा मंचन प्रारंभ हुआ। दोनों शो में हॉल दर्शको से ठसाठस भरा हुआ था। इसी हॉल में विवेचना के नाटक ’सूपना का सपना’ का मंचन हुआ। सूपना का सपना शाहिद अनवर का नाटक है जो विवेचना ने देश के प्रतिष्ठित मंचों पर किया है। ’सूपना का सपना’ हरदा मंे बहुत पसंद किया गया। हरदा में विवेचना का अपना दर्शक वर्ग है जो पिछले कई नाटकों में मंचनों से बना है। विवेचना का यह मंचन विगत 31 जनवरी 2010को हरदा में आयोजित हुआ।
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