विवेचना जबलपुर द्वारा 11 सितंबर 2010 से नाट्य शिविर का आयोजन किया। यह कई मायनों में अनोखा नाट्य शिविर है। इसमें अखबारों के माध्यम से शिविर में शामिल होने के लिए नाम आमंत्रित किए गए। विशेषता यह थी कि इस शिविर में शामिल होने के लिए छोटे बच्चों को छोड़कर हर उम्र के व्यक्ति को आमंत्रित किया गया। परिणामस्वरूप 14 वर्ष के किशोर से लेकर 71 वर्षीय बुजुर्ग ने भी इस शिविर में शामिल होने के लिए आवेदन दिया। इस शिविर में शामिल होने के लिए पांच घरेलू महिलाएं भी आईं।
शिविर का उद्घाटन सिद्धिबाला बोस लाइब्रेरी एसोसियेशन के अध्यक्ष सुब्रत पॉल द्वारा किया गया। श्री पॉल ने प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जबलपुर में नाटकों के संवर्धन में सिटी बंगाली क्लब की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने विवेचना के वर्कशॉप हेतु यथासंभव सहयोग का आश्वासन दिया। यह शिविर सिटी बंगाली क्लब के कक्ष में आयोजित किए। श्रीमती रूपांजलि बैनर्जी ने सभी प्रशिक्षणार्थियों से नाटक के बारे में अधिकाधिक पढ़ने और सीखने का अनुरोध किया।
विवेचना के सचिव हिमांशु राय ने शिविर के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पिछले दो वर्षाें में विवेचना ने राष्टीय नाटय विद्यालय के सहयोग से नाट्य शिविर आयोजित किए हैं। इस वर्ष यह शिविर आयोजित नहीं किया जा सका। इसीलिए इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर की विशिष्टता यह है कि इसमें हर उम्र का व्यक्ति हिस्सा ले सकता है। जबलपुर शहर में लाखों लोग रहते हैं लेकिन रंगकर्म से बहुत कम लोग जुड़े हैं। हम चाहते हैं कि वो तमाम लोग जो अभिनय गायन वादन या थियेटर की किसी भी विधा में रूचि रखते हैं थियेटर से जुड़ें। इसीलिए इस शिविर में शामिल होने के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है। बहुत से लोग जो गायन वादन या नृत्य आदि सीखे हुए होते हैं पर मंच पर उतरने का मौका नहीं हासिल कर पाते। विवेचना के इस शिविर के बहाने बहुत से लोगों ने यह अवसर हासिल किया कि वे प्रशिक्षण भी प्राप्त करें और मंच पर भी उतरें।
विवेचना के इस निःशुल्क शिविर में 37 प्रतिभागी शामिल हुए। इनमें 7 छात्राएं और घरेलू महिलाएं थीं। एक महिला गायन में विधिवत प्रशिक्षित हैं। शिविर का समय ऐसा रखा गया कि नौकरी पर जाने वाले लोग बिना छुट्टी लिये शिविर में हिस्सा ले सकें। शिविर में प्रतिदिन थियेटर व्यायाम, थियेटर गेम्स और इम्प्रोवाइजेशन के सत्र रखे गये जिनके बाद नाट्य विधा पर कक्षा होती थी जिसमें प्रतिभागियों को नाटक की जरूरी बारीकियां, लाइट साउंड, संगीत, नृत्य, मेकअप आदि की जानकारी दी गई। कुछ समय बाद जब प्रतिभागी खुलने लगे और नाट्य संसार से उनका परिचय हो गया तो नाट्य पाठ का सिलसिला शुरू किया गया। अनेक नाटकों का पठन किया गया। यह शिविर प्रारंभ होने पर ही घोषित कर दिया गया था कि इस शिविर में एक नाटक भी तैयार किया जाएगा जिसे विवेचना के सत्रहवें राष्टीय नाट्य समारोह में मंचित किया जाएगा। इसके लिये निर्देशक वसंत काशीकर ने उदयप्रकाश की कहानी मौसाजी का नाट्य रूपांतर किया। और मौसाजी जैहिन्द के नाम से नाटक तैयार हुआ। इस नाटक की तैयारी के दौरान नाटक की बारीकियों का ज्ञान प्रतिभागियों को दिया गया। नाटक में युवाओं और महिलाओं ने विशेष उत्साह से काम किया।
विवेचना द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित नाट्य शिविरों की श्रृंखला में यह शिविर सर्वाधिक सफल शिविर माना जा सकता है। इस शिविर के परिणाम उत्साहवर्धक रहे और शामिल प्रतिभागी विवेचना के नाट्यदल में शामिल हुए।
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