विवेचना का सत्रहवां राष्ट्रीय नाट्य समारोह 2010
मध्यप्रदेश की जानी मानी सांस्कृतिक संस्था विवेचना, जबलपुर का सत्रहवां राष्ट्रीय नाट्य समारोह आगामी 27 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2010 तक आयोजित है। इस समारोह की श्रंखला 1994 से शुरू हुई थी जब स्व हबीब तनवीर ने पहले समारोह का उद््््््घाटन किया था और ’देख रहे हैं नैन’ का मंचन हुआ था। पहले ही समारोह में स्व बा व कारंत का ’बाबूजी’ हुआ जो आज सोलह साल बाद भी दर्शकों को याद है। पहले ही समारोह में बंसी कौल का वह जो अकसर झापड़ खाता है’ और सतीश आलेकर निर्देशित ’महानिर्वाण’ भी मंचित हुए थे। इस सत्रह सालों में देश के अधिकांश जाने माने निर्देशक जबलपुर आ चुके हैं और अपने यादगार नाटकों का मंचन कर चुके हैं। नादिरा बब्बर, दिनेश ठाकुर, मानव कौल, उषा गांगुली, देवेन्द्रराज अंकुर, रंजीत कपूर, सतीश आलेकर, अरविंद गौड़, अलखनंदन, लईक हुसैन, अनिलरंजन भौमिक आदि के नाटक हो चुके हैं। विवेचना के विगत सोलह समारोहों में अब तक 90 नाटक मंचित हो चुके हैं।
विवेचना के सत्रहवें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में इस बार प्रथम दिन विवेचना जबलपुर वसंत काशीकर के निर्देशन में ’मौसाजी जैहिन्द’ मंचित होगा जो उदयप्रकाश की कहानी पर आधारित है। दूसरे दिन 28 अक्टूबर को त्रिपुरारी शर्मा के निर्देशन में ’रूप अरूप’ का मंचन होगा जो नौटंकी में काम करने वाले स्त्री और पुरूष के बीच के द्वंद्व पर आधारित है। तीसरे दिन बलवंत ठाकुर जम्मू के निर्देशन में ’घुमाई’ नाटक मंचित होगा। डोगरी भाषा का यह लोकनाटक अभी अभी यूरोप के अनेक देशों में मंचित हुआ है। चौथे दिन स्व हबीब तनवीर का नाटक ’चरणदास चोर’ मंचित होगा। पांचवें दिन 31 अक्टूबर को एकजुट मुम्बई द्वारा नादिरा बब्बर के निर्देशन में ’यार बना बडी’ मंचित होगा। इस पंाच दिवसीय नाट्य समारोह में पंकज दीक्षित के कोलाज, रेखाचित्रांे और कविता-कहानी पोस्टर की प्रदशनी भी लगेगी। त्रिपुरारी शर्मा, बलवंत ठाकुर और नादिरा बब्बर अपने रंग अनुभव और रंगकर्म पर बातचीत करेंगे। प्रतिदिन नाटक से पहले प्लेटफॉर्म प्रस्तुतियों में माइम, नुक्कड़ नाटक, एकल प्रस्तुतियां और लोकनृत्य भी मंचित होंगे। पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित किए जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
No comments:
Post a Comment