
मानबोध बाबू अलवर में सराहा गया
इप्टा अलवर राजस्थान द्वारा एक राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन अनेक वर्षांें से किया जा रहा है। फरवरी 2009 में विवेचना को अलवर में ’सूपना का सपना’ का मंचन करने के लिये आमंत्रित किया गया था। ’सूपना का सपना’ का मंचन अलवर में बहुत सराहा गया। सन् 2009 में ही इप्टा अलवर ने राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन किया। इसमें 26 दिसंबर 2009 को विवेचना ने अपना प्रसिद्ध नाटक ’मानबोध बाबू’ किया। मानबोध बाबू चन्द्रकिशोर जायसवाल की एक कहानी है। इस कहानी का नाट्य रूपांतर कर विवेचना ने मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत एक मनमोहक नाटक तैयार किया है। इस नाटक के मंचन पूरे देश में हुए हैं। एक रेल के डिब्बे में मानबोध बाबू सफर करते हैं। साथ मिल जाते हैं मोहनलाल जी। दोनों की बातचीत में से व्यंग्य, हास्य और मानव मन की गुत्थियां खुलती जाती हैं। ये सफर एक रहस्यपूर्ण अंत में बदल जाता है लेकिन दर्शकों को सिखा जाता है जीवन जीने की कला। अलवर मं मानबोध बाबू बहुत पसंद किया गया।
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