हरि भटनागर का रचना पाठ
विवेचना और मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जाने माने कथाकार हरि भटनागर भोपाल का रचना पाठ आयोजित है। श्री हरि भटनागर अपने नव प्रकाशित उपन्यास ’एक थी मैना एक था कुम्हार’ के एक अंश का पाठ करेंगे। पाठ के पश्चात् श्री अरूण कुमार उपन्यास के बारे में अपने विचार रखेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात अभिनेता आलोक गच्छ भोपाल हरि भटनागर की कहानी ’माई’ का नाट्य मंचन करेंगे। यह नाटक भोपाल के अलावा विदेशों में भी मंचित हुआ है।
कार्यक्रम दिनांक 3 मई शनिवार को रानी दुर्गावती संग्रहालय भंवरताल में संध्या 6.30 बजे आयोजित है। हिमांशु राय, वसंत काशीकर, बांके बिहारी ब्यौहार, राजेन्द्र दानी, रमाकांत ताम्रकार ने सभी साहित्यप्रेमियों से उपस्थिति का अनुरोध किया है।
उत्तर प्रदेश में 1955 में जन्मे हरि भटनागर का प्रारम्भिक जीवन सुल्तानपुर, उ प्र में गुजरा। शुरूआत मेें ’अमर उजाला’, ’हितवाद’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में काम। ’सगीर और उसकी बस्ती के लोग’, ’बिल्ली नहीं दीवार’, ’नाम में क्या रखा है’, ’सेवड़ी रोटियां’ उनके प्रकाशित कथा संग्रह हैं। उनकी कहानियां उर्दू, मलयालम, मराठी, पंजाबी, के साथ रूसी, अंग्रेजी और फ्रेंच भाषाओं में अनूदित हुई हैं। 25 वर्षों तक म प्र साहित्य परिषद की पत्रिका ’साक्षात्कार’ के सम्पादन से संबद्ध रहे। रूस के पुश्किन सम्मान समेत देश के राष्ट्रीय श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार, दुष्यन्त कुमार सम्मान एवं वागीश्वरी पुरस्कार से पुरस्कृत। हरि भटनागर ने रूस, अमेरिका, ब्रिटेन की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्राएं की हैं व विश्व हिन्दी सम्मेलन 2003 सूरीनाम, 2007 न्यूयार्क में सक्र्रिय हिस्सेदारी। वर्तमान में मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग में डिप्टी डायरेक्टर और पंजाबी अकादमी के सचिव हैं।
विवेचना और मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जाने माने कथाकार हरि भटनागर भोपाल का रचना पाठ आयोजित है। श्री हरि भटनागर अपने नव प्रकाशित उपन्यास ’एक थी मैना एक था कुम्हार’ के एक अंश का पाठ करेंगे। पाठ के पश्चात् श्री अरूण कुमार उपन्यास के बारे में अपने विचार रखेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात अभिनेता आलोक गच्छ भोपाल हरि भटनागर की कहानी ’माई’ का नाट्य मंचन करेंगे। यह नाटक भोपाल के अलावा विदेशों में भी मंचित हुआ है।
कार्यक्रम दिनांक 3 मई शनिवार को रानी दुर्गावती संग्रहालय भंवरताल में संध्या 6.30 बजे आयोजित है। हिमांशु राय, वसंत काशीकर, बांके बिहारी ब्यौहार, राजेन्द्र दानी, रमाकांत ताम्रकार ने सभी साहित्यप्रेमियों से उपस्थिति का अनुरोध किया है।
उत्तर प्रदेश में 1955 में जन्मे हरि भटनागर का प्रारम्भिक जीवन सुल्तानपुर, उ प्र में गुजरा। शुरूआत मेें ’अमर उजाला’, ’हितवाद’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में काम। ’सगीर और उसकी बस्ती के लोग’, ’बिल्ली नहीं दीवार’, ’नाम में क्या रखा है’, ’सेवड़ी रोटियां’ उनके प्रकाशित कथा संग्रह हैं। उनकी कहानियां उर्दू, मलयालम, मराठी, पंजाबी, के साथ रूसी, अंग्रेजी और फ्रेंच भाषाओं में अनूदित हुई हैं। 25 वर्षों तक म प्र साहित्य परिषद की पत्रिका ’साक्षात्कार’ के सम्पादन से संबद्ध रहे। रूस के पुश्किन सम्मान समेत देश के राष्ट्रीय श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार, दुष्यन्त कुमार सम्मान एवं वागीश्वरी पुरस्कार से पुरस्कृत। हरि भटनागर ने रूस, अमेरिका, ब्रिटेन की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्राएं की हैं व विश्व हिन्दी सम्मेलन 2003 सूरीनाम, 2007 न्यूयार्क में सक्र्रिय हिस्सेदारी। वर्तमान में मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग में डिप्टी डायरेक्टर और पंजाबी अकादमी के सचिव हैं।
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