ठहाकों के बीच संपन्न हुआ कंजूस नाटक का मंचन
विवेचना के नाट्य समारोह का यह 21 वां साल था। नाट्यगृह तरंग को रोशनी और रंगारंग बोर्ड से सजाया गया था जो अपनी भव्यता के कारण सभी को आकर्षित कर रहा था। विवेचना के इक्कीसवें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का उद्घाटन जाने माने अभिनेता व निर्देशक श्री अशोक बांठिया ने किया। श्री अशोक बांठिया 9 अक्टूबर को होने जा रही प्रस्तुति नियति के निर्देशक हैं। इस अवसर पर विवेचना के हिमांशुु राय, वसंत काशीकर, बांके बिहारी ब्यौहार, अनिल श्रीवास्तव उपस्थित थे। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल परिवार की ओर से श्री मनु श्रीवास्तव सी एम डी, श्री डी के गुप्ता महासचिव क्रीड़ा परिषद व श्री शैलेन्द्र महाजन, एस पी हरिनारायणाचारी मिश्र, कलेक्टर शिवनारायण रावला उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री अशोक बांठिया ने कहा कि विवेचना का यह समारोह और इसी कारण जबलपुर पूरे देश में जाना जाता है। हिमांशु राय ने नाट्य समारोह और इसमें आमंत्रित नाटकों व निर्देशकों के बारे में बताया। श्री बांकेबिहारी ब्यौहार ने संचालन किया।
नाट्य समारोह के उद्घाटन के पश्चात् विवेचना के कलाकारों ने ’कंजूस’ नाटक का मंचन किया। यह नाटक फ्रेंच नाटक कार का लिखा 350 साल पुराना हास्य नाटक है जिसके मंचन पूरी दुनिया में होते रहे हैं। हजरत आवारा के द्वारा किए गए इस रूपांतर के मंचन एन एस डी रिपर्टरी ने भी किए हैं।
मिर्ज़ा सख़ावत बेग बुजुर्ग हैं पर दूसरी शादी की ख़्वाहिश रखते हैं। मगर वो चाहते हैं कि लड़की कमउम्र हो, कमखर्च हो और साथ में दहेज भी लाए। उनके पास बहुत पैसा भी है और वो उसे छुपा कर रखते हैं। उनका लड़का फरूख और लड़की अजरा भी शादी लायक हैं उनके भी अपने सपने हैं। पर मिर्जा सखावत बेग की उनकी शादियों के लिए भी अपनी चालें हैं। वो पैसा बचाने के लिए अपनी लड़की अजरा की शादी एक बुजुर्ग असलम से करने की तैयारी में हैं। और एक गरीब लड़की मरियम से खुद शादी करने की फिराक में हैं जो उनके लड़के फरूख की मंगेतर है। इसी बीच नाटकों में संयोगों और गड़बड़ियों की बारिश शुरू हो जाती है। ऐसे ताने बाने और जोड़ तोड़ बनते हैं दर्शक लोट पोट हो जाते हैं।
नाटक में मिर्जा बने आशीष नेमा, फरजीना बनी दीपा सिंह और अल्फू के रोल में विनय शर्मा ने खूब प्रभावित किया। अजरा के रोल में दीप्ति सिंह, फरूख बने ब्रजेन्द्र सिंह, नम्बू के रोल अक्षय ठाकुर नासिर बने आयुष राय मरियम बनी खूशबू जेठवा, हवलदार बने सीताराम सोनी और असलम के रोल में संजय जैन दलाल बने सौरभ पाठक खूब जमे। आशीष नेमा मुख्य किरदार में थे और उन्होंने अपने अभिनय का जलवा खूब दिखाया।
नाटक में तपन बैनर्जी का निर्देशन चुस्त था। दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहे। संजय गर्ग की मंच व्यवस्था अनुकूल थी। वेशभूषा और मेकअप नाटक के अनुरूप था।